Kavita in Hindi - कविता इन हिंदी
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जिंदगी में उस दौर से गुजर रहा हूँ,
धड़कन नहीं है दिल में ,
मगर साँस ले रहा हूँ,
घुमाता हूँ नजर जिधर भी,
नफ़रत का ज़हर फैला दिखाई दे रहा है,
जरिया नही है कोई ,
अमन शांति और प्यार में तब्दीली का,
धुंआ है ,घुटन है, ज़हरीली अफवाओं का !
मौसम है शर्दी का मगर ,
झुलस महसूस कररहा हूँ,
जिंदगी में उस दौर से गुजर रहा हूँ,. . . . .
मैं नही चाहता के गिरगिट बन जाऊ,
हर क्षण हर पल एक नया रंग दिखाऊ,
आदत नहीं है झूठी मुस्कान दिखने की,
क्या जरुरत अपने ही नजरो मैं गिर जाने की,
खुद से किये बादौ से ही मुकर रहा हू,
जिंदगी में उस दौर से गुजर रहा हूँ,
धड़कन नहीं है दिल में ,
मगर साँस ले रहा हूँ,
जिंदगी में उस दौर से गुजर रहा हूँ,. . . . .
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