story in hindi to read - horror story in hindi to read
Haunted House - EP 2
अंकित खड़ा सलोनी के कंपते हुए बदन को देख रहा था , रोंगटे तो उसके भी खड़े हो ही चुके थे , लेकिन वो किसी तरह से सलोनी को नॉर्मल होने देना चाहता था , उसने सलोनी को पकड़कर उसे रिलैक्स होने को कहा और पूछा "क्या तुमने कोई डरावना सपना देखा है ?"
सलोनी की सांसे और दिल की धड़कन अभी भी सामान्य होने का नाम नहीं ले रही थी ...
अब अंकित ने टेबल पर रखे पानी के ग्लास को उठाया और सलोनी की ओर बढ़ाते हुए कहा "लो पानी पी लो "
सलोनी ने अंकित का हाथ दूर करते हुए तेज अबाज में चीखते हुए कहा "नहीं ये पानी नहीं खून है इसमें फेक दो इसे "
अंकित ने आश्चर्य से ग्लास की ओर देखा तो उसमे खून तो नहीं उसमे तो पानी ही था ...
सलोनी तुम ठीक तो हो न क्या हुआ है तुम्हे , इसमें पानी ही है , देखो मैं पी भी रहा हूँ इसे ..
सलोनी तेज झपटते हुए अंकित के हाथ से बो ग्लास छीनते हुए खिड़की की ओर दौड़ी , और जल्दी से वो ग्लास बहार फेक दिया ||
उसने डरते डरते एक नजर खिड़की के बाहर झाँका तो उसे ग्लास फूटने की आबाज के साथ उसके टुकड़ो के आस पास खून बहता हुआ दिखा ...
उसने तुरंत अंकित को पास आने का इशारा किया ,
अंकित दौड़ा हुआ उसके पास आया , सलोनी अंकित के गले लगते हुए बोली "वो देखो , कितना खून पड़ा है "
अंकित ने खिड़की के बाहर एक बार झाँका और सलोनी को उसके माथे पर किश करते हुए कहा "माय डिअर वाइफ तुमने कोई डरावना सपना जरूर देख लिया है बाहर कोई खून नहीं है बल्कि तुमने अपना पानी का ग्लास फेका है उसी का पानी वह रहा है "
अब सलोनी ने फिर से खिड़की के बाहर झाँका , उसे वही मंजर फिर से दिखा , वो अंकित से लिपट गयी और बोली अंकित तुम झूठ बोल रहे हो , मुझे यहां से ले चलो , मुझे नहीं रहना यहाँ और सलोनी रोने लगती है ||
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अंकित उसे रिलैक्स करने की कोशिश करता है , और अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाता है और खुद भी उसके बिलकुल नजदीक लेट जाता है , सलोनी ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी , और अंकित उसके माथे पर हाथ फेर रहा था |
अब सलोनी और अंकित दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए थे |
अगली सुबह जब अंकित की आंख खुली थी तब तक सलोनी और देविका दोनों ही सो रही थी , अंकित ने दोनों में से किसी को भी नहीं जगाया क्योंकी रात को दोनों ही डर गयी थी और देर से सोई थी इसलिए सोने ही दिया |
अंकित अपने ऑफिस जाने के लिए रेडी हो गया था , लेकिन अभी तक सलोनी तो सो ही रही है , अगर गाड़ी मैं ले गया था फिर इसे कैब करनी पड़ेगी ||
अंकित सोफे पर बैठा सोच ही रहा था की उसे लगा की उसकी किचन में कोई है , उसे बर्तनो की आबाज सुनाई दिया , जैसे कोई उसके चाय बना रहा हो ...
उसे लगा हो सकता है देविका अपने कॉलेज जाने के लिए रेडी हुई होगी और अब चाय बना रही है ... हो सकता है मैं जब देखा तो उसके बाद उठ गयी होगी .. अब अंकित ने अपनी टाई सही करते हुए सोचा चलो देविका से चल कर उसके बारे में पूछ लू , रात को बहुत डर गयी थी ...
वो दावे पाव किचन में गया तो देखा वहां तो कोई है ही नहीं , अगर यहाँ कोई नहीं है तो ये ब्रेड और चाय के कप किसने निकाल के रखे है |
उसे अब थोड़ा सा डाउट हुआ लेकिन वो अभी भी डरा नहीं , उसे लगा की हो सकता है देविका बाथरूम या वाशरूम गयी होगी .. इसलिए वो बही खड़ा वेट करने लगा ...
उसे तीसरे रूम जो की एक सर्वेंट रूम था उसके गेट बंद होने की आवाज आयी ...
आबाज आते ही उसने तुरंत मुड़ के देखा लेकिन उधर भी कोई नहीं दिखा , बल्कि उसके घर में तो कोई सर्वेंट काम करता ही नहीं था तो ये रूम किसने ओपन किया ??
अब अंकित को डर सताने लगा , कही देविका और सलोनी सच में तो नहीं डर गयी थी .. शायद यहां कोई है ??
अब अंकित ने धीरे धीरे सर्वेंट रूम की ओर कदम बढ़ाते हुए आबाज लगायी "कौन है वहां , मैं पूछ रहा हूँ कौन है वहां "
अंकित अब कुछ बोलते बोलते चुप रह गया और अपने चेहरे पर हाथ फेरते हुए घडी की ओर देखा , उसके ऑफिस का टाइम हो रहा था , अब बो उस रूम की ओर जाये या फिर अपने ऑफिस के लिए निकल जाये , सोचने पर मजबूर हो गया था |
हॉल में खड़ा अंकित सोच ही रहा था की उसके कंधे पर उसने किसी का हाथ महसूस किया , दिल में पहले से डर होने की बजह से अंकित के मुँह से डर की चींख निकल गयी .. "कौन है ???"
सांसे काफी तेज थी ...
सलोनी उसे अजीव सी निगाहो से देख रही थी ,,,
उसने पूछा "क्या हुआ अंकित तुम ठीक तो हो न डरे हुए से लग रहे हो " और इधर उधर देखने ..
अंकित ने लम्बी साँस ली और सोफे पर बैठ गया और बोला "कुछ नहीं तुम रात को डर गयी थी न तो वही सब दिमाग में चल रहा था "
सलोनी ने रिलैक्स बाली सांसे ली और बोली "हाँ रात को तो मेरी जान ही निकल गयी थी .."
अब सलोनी अंकित के पास बैठी और उसके हाथ पर अपना हाथ रख कर बोली "अंकित एक बात बोलू "
अंकित ने उसकी आँखों में देखा और हाँ में सर हिलाया
सलोनी "अंकित हमे इस घर में कुछ अजीब सा लगता है , हमे इस घर से निकल जाना चाहिए "
अंकित ने सलोनी की ओर देखा और कहा "सलोनी तुम्हारी जिद की बजह से मुझे जल्दी में ये घर लेना पड़ा .. अब कौन इतनी जल्दी खरीदेगा और बैंक का लोन कैसे चुकता करेंगे "
सलोनी अब चुप रह गयी ..
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फिर जब अंकित ऑफिस के जाने के लिए कह ही रहा था की चलो ... तो सलोनी ने कहा "कम से कम किसी पंडित जी घर का शुद्धिकरण तो करा ही लो "
अंकित ने कहा "हाँ हमे ये करवाना चाहिए "
ओर हाँ अंकित आज देविका घर में अकेली है इसलिए मैंने सोचा है की मैं आज ऑफिस नहीं जाऊगी, उसके साथ आज डॉक्टर के यहाँ भी जाना है ... अंकित ऑफिस के लिए चला जाता है ...
सलोनी देविका के कमरे में गयी और एक जोरदार चीख के साथ वो कमरे से बहार की ओर भागी और सोफे से टकरा कर फर्श पर जा गिरी ....
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