Motivational Poem In Hindi
Motivatinal poem |
हर रोज ढलता है दिन और हर रोज सुबह होती है
पत्तो पर पड़ी शीप भी कभी तड़प पड़प कर रोती है |
जैसे भी हालत हो उसके फिर भी वो
अपनी चमक नहीं खोती है |
तू इंसान हार जाता है अपनी परेशानियों से
टूट कर बिखर जाता है अपनी नादानियों से |
भूल जाता है तू आया क्यों इस धरा पर
क्यों जन्म हुआ इस धरा पर |
मन के बस में आ कर गलतिया करने लगता है
अपनों का और खुद का दुसमन बनाने लगता है |
ख़ुदकुशी के विहचार मन में पनपने लगते है
निराशा के घोर अँधेरे झकड़ने लगते है |
कर दे दूर ऐसे विचारो को खुद से
तोड़ दे सारे बंधन निराशा से |
तू बो नहीं है जो खुद को समझ रहा है
तू बो है जिसका तुझे खुद को पता नहीं है |
Motivational Shayari for student
समझ खुद को और मन में अपने विश्वास भर
खुद को हर चुनौतियों के लिए तैयार कर |
कर सकता है तू जो करना चाहता है
मन में अपने बस जूनून बरक़रार कर |
इतिहास रचने को खुद को तैयार कर |
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