Romantic shayari in Hindi

 

Romantic shayari in hindi



मुझसे दूर तुम जितना जाते हो

रुह मे उतना गहरा उतर जाते हो

मुस्कराते मुस्कराते , आहिस्ता आहिस्ता

छलक के आँखों से पलकों पर बिखर जाते हो 


एक गुजारिश की थी हमने

एक अधूरी ख्वाहिस की थी हमने

बिछड जाएंगे ये किसे पता था

एक तरफा ही सही लेकिन् मुहब्बत की थी हमने 


पलके खुली हो या हो बंद , सनम तेरी तस्बीर दिखाई दे 

मेरा नाम पुकारे जब कोई , मुझे तेरा नाम सुनाई दे 


जिंदगी के मंच पर इतनी शिद्दत से निभाओ अपना हर किरदार 

सफलता आपके कदम चूमे 

दुनिया खुद आगे बढ़ कर आपका सम्मान करे 


मेरे उजड़ते चमन का आखिरी फूल हो तुम

कह सकते हो , मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल हो तुम

सब जानता था , किसी चाँद की चकोरी हो तुम  

कहानी हो , कविता हो , नज़्म हो , लेकिन मेरी अधूरी हो तुम 


बेशक तुम मुझे नामंजूर करदो

न चाहते हुए भी अपनी यादो से दूर करदो 

चलो कह दो ये अफसाना था तेरी चाहते का 

बस मुझे मेरा वो एक अल्फ़ाज़ बापस करदो 


प्रेम का जादू क्यों चलाया तुमने

इस जादू का बीज क्यों उगाया तुमने

हम तो जी रहे थे सुहानी यादो में 

इन यादो को आखिर तुमने क्यों सजाया तुमने 

आते थे ख्वाव एक धूप छाव की तरह 

इस धूप छाव में उम्मीदों का बीज क्यों लगाया तुमने 

मन की यादो को पंख लगा कर कहाँ अदृश्य हो गए तुम

हमे अपनी मीठी मीठी यादो में फसा गए तुम

इन यादो का जाल क्यों बिछाया तुमने 


Romantic Shayari in Hindi 

देखते देखते वो अजनवी हो गया 

न जाने क्यों वो नकावी हो गया 

कभी उसका इशारा भरोशे की ओर था 

अब न जाने क्यों लोग कहते है , मैं शरावी हो गया |


काश तुमने हमारा इश्क़ समझा होता 

ये रिश्ता कृष्ण और राधा जैसा होता 

न मजबूर तुम होते , न हम मजबूर होते 

बस एक जहाँ होता, सारा खुला आसमान अपना होता 


बाते हजार करती है 

बस यु ही न ये छलक जाती है 

ख़ुशी हो या गम 

आंखे ये खूब शोर मचती है


क्या मेरी ख़ामोशी तुम्हे चुभती नहीं 

क्यों तुम्हारी निगाहे कुछ कहती नहीं 

इस तरह झुकी हुयी तुम्हारी पलके 

क्या तुम्हे कभी कुछ पूछती नहीं 


ये राहे उल्फत की है जनाब 

यूं हस के विदा न कीजिये 

गर जगह हो दिल में जरा सी भी 

यूं न खुद से जुदा कीजिये 


बांसुरी के स्वर जैसा मन हो गया है 

मोर के पंखो जैसा तन हो गया है 

हे कान्हा जब से ए हो तुम इस जीवन में 

मेरा तो रोम - रोम बृंदाबन हो गया है 


खूबसरत एहसासो को ख़ूबसूरती से जीते है हम

अब किसी के हवाले नहीं अपने मुताबिक जीते है हम 

गम की कोई परवाह नहीं , बस हसना और हसना सिखाते है हम


अजीव जुल्म करती है तेरी यादे मुझ पर 
सो जाऊ तो उठा देती है , जग जाऊ तो रुला देती है 
ख़तम हो गयी कहानी , बस कुछ अल्फ़ाज़ बाकी है 
एक अधूरी इश्क़ की एक मुकम्मल सी याद बाकी है 


कौन कहता है आसान होता है सफलता का सफर 

न जाने कितने बेखौप परिंदे दौड़ाते है अपनी हवस की नजर 

 नौच नौच के खाते है खूबसूरती का मद 

लम्हा लम्हा बनाते है न जाने कितनी अस्मिताओं की कब्र 


खुद खपा होके हमसे 

मनाने की उम्मीद में बैठ जाते हो 

ये कैसी मनोदशा है मेरी 

खुदा कसम तुम मुझे बुल्कुल भी समझ नहीं आते हो 




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